यादों में रह गई ओ बातें , बीते लम्हों की ।
याद पुरानी , समय की यह कहानी ।।
जिसे सोच अब, आंखों में नम सी छा जाती है ।
गुड मॉर्निंग से गुड नाईट तक का सफर ,
जिंदगी का हम सफर सा हो गया था ।।
याद आती है,हॉस्टल के गुजरे हुए ओ दिन ...
शनी की ओ डांट फटकार , साथ खिचड़ी की वो स्वाद ।
बड़ा मजा आता था , किसी को जादा तो किसी को कम ।
क्या ग्रुप बना बैठ जाते थे ,
एक साथ न सीनियर न जूनियर भाई चारा खूब निभाते थे ।।
याद आती है,हॉस्टल के गुजरे हुए ओ दिन ...
जब माह अंतिम दिन से गुजर रहा होता था ,
पढ़ाई छोड़ सब लेन देन में बैठ जाते थे ।
कितनो को गुस्सा, कितनो को अच्छा ,
भला बुरा कह जाते थे ।
सुबह का मिलना ,
मानो लगता कुछ हुआ ही नहीं सब एक मन हो जाते थे ।।
याद आती है,हॉस्टल के गुजरे हुए ओ दिन ...
क्या गजब की जिंदगी थी ,
जिसमे मिलना जुलना जबरन सीखा जाती थी ।
न चाहते हुए भी दुश्मनो से, मुहब्बत करना सीखा जाती थी । ।
याद आती है,हॉस्टल के गुजरे हुए ओ दिन ...
सीनियर की ओ डांट , दूरदर्शी सा ओ प्यार ।
आज भरी महफिल में याद आ जाती है ,
जिन्होंने हमें सिखाया , रहना चलना ,
बड़ों से कैसे बाते करना जीवन में याद आ जाती हैं ।।
गुजरे दिनों के नाम ।।
- Anil vijay